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प्रश्न 1-अम्ल क्या हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं? अम्लों के गुण तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।

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अम्ल की परिभाषा - "वे पदार्थ जिनका स्वाद खट्टा होता है तथा जो नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं, "अमल" कहलाते हैं। अम्लों के प्रकार-  अमल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं 1. कार्बनिक या प्रकृति प्रदत्त अम्ल 2. अकार्बनिक या खनिज अम्ल  कार्बनिक अम्ल- प्रकृति प्रदत्त अमल तनु अम्ल होते हैं। यह हमारे भोज्य पदार्थों में विविध मात्रा में पाए जाते हैं। कुछ खाद्य पदार्थों में उपस्थित अम्ल जैसे प्याज में एस्कार्बक अम्ल।  सेब में मैलेइक अम्ल।  दही में लैक्टिक अम्ल।  इमली में टार्टरिक अम्ल। सिरके में एसिटिक अम्ल।  कोल्ड ड्रिंक में कार्बोनिक अम्ल।  संतरे में सिट्रिक अम्ल।  टमाटर में ऑकसिलिक अम्ल।                                   अभिक्रियाऐं धातुओं के साथ अभिक्रिया - प्रकृति प्रदत्त अम्ल बहुत ही तनु अम्ल होते हैं इसलिए यह अम्ल बहुत मन्द गति से धातुओं के साथ अभिक्रिया करके विषैले योगिक बनाते हैं। जैसे कि हम नींबू के जूस में एल्यूमिनियम फॉइल का एक छोटासा टुकड़ा डाल देते हैं तो हाइ‌...

क्षारक क्या होता है? Iske गुणों व उपयोगों की व्याख्या।

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क्षारक की परिभाषा- क्षारक एक रासायनिक पदार्थ होता है। यह लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं व इनका स्वाद कड़वा होता है।  अम्ल   के साथ अभिक्रिया - अम्ल एवं क्षारक एक दूसरे के प्रति विरोधी होते हैं। अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया करने पर यह एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त देते हैं। अम्ल द्वारा क्षारक का प्रेषित प्रभाव तथा  क्षारक द्वारा अम्ल का प्रेषित प्रभाव समाप्त हो जाता है। अथवा अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया के परिणामस्वरुप लवण तथा जल प्राप्त होते हैं। अम्ल एवं क्षारक की इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं। जल के साथ अभिक्रिया - क्षारक जल में हाइड्रोक्साइड(oh-)आयन उत्पन्न करते हैं । जल में घुलनाील क्षारक को क्षार कहते हैं।  सभी अम्ल h+(aq) तथा सभी क्षारक oh- (aq) उत्पन्न करते हैं  सूचक - कपड़े पर लगे सब्जी के दाग पर जब क्षार के प्रकृति वाला साबुन उसके धब्बे का रंग भूरा लाल हो जाता है गधीय सूचक -अमला व क्षारक में कोई एक ऐसा ये ऐसे पदार्थ जिनकी गंद अम्लीय व क्षारकीय मध्यम से थोड़ी भिन्न हो जाती है। इन्हें गंधीय सूचक कहते हैं। धात्विक ऑक्साइड (क्षारक) ...

संक्षारण किसे कहते हैं? प्रश्न -आयरन को नम वायु में डाल देने पर कुछ दिनों में जंग लग जाता है। कारण सहित स्पष्ट कीजिए कि यह किस प्रकार का परिवर्तन है?

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  उत्तर - आपने अवश्य देखा होगा कि लोहे की बनी नयी वस्तुएँ चमकीली होती हैं लेकिन कुछ समय पश्चात उन पर लालिमा युक्त भूरे रंग की परत चढ़ जाती है। प्रायः  इस प्रक्रिया को लोहे पर जंग लगना कहते हैं।  "जब कोई धातु अपने आसपास अम्ल, आर्द्रता आदि के संपर्क में आती है तब ये संक्षारित होती हैं और इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं।" कुछ अन्य धातुओं में भी ऐसा ही परिवर्तन होता है चांदी के ऊपर काली परत व तांबे के ऊपर हरि परत चढ़ना संक्षारण के अन्य उदाहरण हैं। संक्षारण के कारण कार के ढाँचे, पुल, लोहे की रेलिंग, जहाज तथा धातु, विशेषकर लोहे से बनी वस्तुओं की बहुत क्षति होती है। लोहे का संक्षारण एक गंभीर समस्या है क्षतिग्रस्त लोहे को बदलने में हर वर्ष अधिक पैसा खर्च होता है।  जंग लगना अथवा संक्षारण एक रासायनिक प्रक्रिया है । संक्षारण से सुरक्षा कैसे करें- पेंट करके, तेल लगाकर, ग्रीज़ लगाकर, यशदलेपन (लोहे की वस्तुओं पर जस्ते की परत चढ़ाकर) क्रोमियम लेपन, एनोडिकरण या मिश्र धातु बना कर लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है। लोहे एवं इस्पात को जंग से सुरक्षित रखने के लिए उनपर जस्ते (जिंक) ...