न्यूटन का कणिका सिद्धान्त (Newton's Corpuscular Theory)

न्यूटन का कणिका सिद्धांत

प्रकाश की प्रकृति के संबंध में न्यूटन ने कणिका सिद्धांत का प्रतिपादन निम्नलिखित प्रकार से किया-

(1.) प्रत्येक प्रकाश स्रोत में असंख्य, अदृश्य, सूक्ष्म एवं हल्के कण निकलते रहते हैं जिन्हें कणिकाएं कहते हैं।

(2.) यह कणिकाएं किसी समांग माध्यम में प्रकाश के वेग से सभी दिशाओं में सरल रेखाओं में चलती हैं।

(3.) जब यह कणिकाएं वस्तुओं से परावर्तित कर हमारी आंख की रेटिना पर गिरती है तो हमें वस्तुएं दिखाई देती है।

(4.) भिन्न भिन्न रंगों की प्रकाश की कणिकाएं  भिन्न भिन्न
आकारों की होती हैं अर्थात प्रकाश का रंग कणिकाओं के आकार पर निर्भर करता है।


कणिका सिद्धांत के आधार पर न्यूटन ने
प्रकाश का निर्वात में से होकर गुजरना,
प्रकाश का सीधी रेखाओं में चलना (छाया का बनना), प्रकाश का ऊर्जा स्वरूप होना 
आदि तथ्यों को सफलतापूर्वक व्याख्या की है।

पॉपुलर पोस्ट

[Luminous Intensity] ज्योति तीव्रता किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा, मात्रक, विमा, सूत्र एवम् संकेत

[Solid angle] घन कोण क्या है, इसकी परिभाषा तथा सूत्र एवम् संकेत

[Luminous Flux] ज्योति फ्लक्स क्या है, किसे कहते हैं, इसकी परिभाषा, मात्रक, सूत्र एवम् प्रतीक

केल्विन क्या है, किसका मात्रक है, इसकी परिभाषा एवं संकेत [Kelvin]

मीटर की परिभाषा [ definition of Meter ]