न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम (Newton's Law of Gravitation)

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम बताता है कि
"किन्ही दो पिंडों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है इस बल की दिशा दोनों पिंडों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में होती है।"
अब माना दो पिंडोंके द्रव्यमान m1 व M2 हैं तथा उनके बीच की दूरी r है तो उनके बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल
F  समानुपात   m1×M2    तथा
F  समानुपात      1/r²        अथवा
F  समानुपात   m1×M2/r ²
इस प्रकार
F=G×m1×M2 /r²
जहां G एक अनुक्रमानुपाती नियतांक है
क्योंकि G का मान पिंडों की प्रकृति, स्थान, समय, माध्यम ताप आदि पर निर्भर नहीं करता इसलिए इसे
सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक
कहते हैं
ऊपर सूत्र में G का मात्रक न्यूटन मीटर²प्रति किलोग्राम² है तथा प्रयोगों द्वारा इसका मान 6.67×10-¹¹ न्यूटन मीटर² प्रति किलोग्राम² प्राप्त होता है
G का मान बहुत कम होने के कारण दैनिक जीवन में हम इस आकर्षण बल का अनुभव नहीं कर पाते हैं परंतु आकाशीय ग्रहों तथा उपग्रहों के द्रव्यमान अधिक होने के कारण यह आकर्षण बल आवश्यक अभिकेंद्र बल प्रदान करता है जिसके कारण पृथ्वी सूर्य के परितः तथा चंद्रमा पृथ्वी के परीतः चक्कर लगाते हैं

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