ट्रांजिस्टर [ transistor ]
ट्रांजिस्टर एक ठोस अवस्था युक्ति होती है अर्थात इसकी कार्यप्रणाली ठोस में आवेश वाहक के प्रवाह पर आधारित होती है यह सिलीकान या जर्मेनियम के क्रिस्टल से बना होता है जिसमें N प्रकार के पदार्थ की एक परत को P प्रकार के पदार्थ की दो परतों के बीच सैंडविच की भांति व्यवस्थित किया जाता है
इसी प्रकार P प्रकार के पदार्थ की एक परत को N प्रकार के पदार्थ की 2 परतों के बीच में व्यवस्थित करके ट्रांजिस्टर तैयार किया जाता है
एक ही प्रकार के दो अर्ध चालकों के मध्य दूसरे प्रकार के अर्ध चालक की पतली परत लगा देने पर जो युक्ति बनती है उसे trasistor कहते हैं
Transistor दो प्रकार के होते हैं
(1)PNP transistor
जब दो p टाइप अर्ध चालकों के मध्य N टाइप अर्ध चालक की एक पतली परत लगा दी जाती है तो इस प्रकार बने transistor को PNP transistor कहते हैं
Transistor दो प्रकार के होते हैं
(1)PNP transistor
जब दो p टाइप अर्ध चालकों के मध्य N टाइप अर्ध चालक की एक पतली परत लगा दी जाती है तो इस प्रकार बने transistor को PNP transistor कहते हैं
(2)NPN Transistor
जब दो N टाइप अर्ध चालकों के मध्य P टाइप अर्ध चालक की एक पतली परत लगा दी जाती है तो इस प्रकार के transistor को NPN transistor कहते हैं
ट्रांजिस्टर के आविष्कार से पहले वेक्यूम ट्रायोड प्रयोग प्रयुक्त किए जाते थे परंतु ट्रांजिस्टर ने इनका स्थान ले लिया क्योंकि ट्रांजिस्टर आकार में छोटे वजन में हल्के तथा कम विभव पर कार्य करते हैं तथा इनमें कम शक्ति की आवश्यकता होती है यह अधिक दक्षता वाली युक्ति होती है जबकि कुछ कमियां भी हैं जैसे लगभग 75 डिग्री तापमान पर तथा कुछ मेगा हर्ट्ज आवृत्ति तक ही कार्य कर सकते हैं