सरल आवर्त गति [Simple Harmonic Motion SHM]

सरल आवर्त गति

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सरल आवर्त गति को समझने के लिए पहले हमें आवर्त गति और दोलन गति को समझना होगा

             जब कोई कण या पिण्ड एक निश्चित पथ पर एक निश्चित समय अंतराल के बाद अपनी गति को बार-बार दोहराता है (Repeat करता है), तो इस गति को आवर्त गति कहते हैं।
उदाहरण- पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा की गति


दोलन गति 
           जब कोई पिण्ड या कण एक ही पथ पर किसी स्थिर बिंदु के इधर-उधर आवर्त गति करता है, तब इस गति को दोलन गति कहते हैं।उदाहरण के लिए, सरल लोलक की गति
दोलन गति


अब हम समझते हैं कि

सरल आवर्त गति क्या है

सरल आवर्त गति एक विशेष प्रकार की दोलनी गति है जोकि दो प्रकार की होती है
  1.  रैखिक सरल आवर्त गति { Linear Simple Harmonic Motion}
  2.  कोणीय सरल आवर्त गति { Angular Simple Harmonic Motion}


 सरल आवर्त गति किसे  कहते हैं

 सामान्यतः रैखिक सरल आवर्त गति को ही सरल आवर्त गति कहा जाता है
सरल आवर्त गति में, कण किसी निश्चित बिंदु के इधर-उधर एक सरल रेखा में, इस प्रकार दोलन गति करता है कि कण के त्वरण की दिशा सदैव सरल रेखा के उस निश्चित बिंदु की ओर होती है तथा त्वरण का परिमाण उस निश्चित बिंदु से कण के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती  होता है।
उदाहरण- स्प्रिंग से हवा में  लटके पिंड की गति

सरल आवर्त गति की परिभाषा

 प्रथम परिभाषा
सरल रेखा में किसी निश्चित बिंदु के इधर-उधर गति करते कण की गति सरल आवर्त गति होती है यदि कण पर लगने वाले बल की दिशा सदैव उस निश्चित बिंदु की ओर हो तथा बल का परिमाण उस निश्चित बिंदु से कण के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो।
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 द्वितीय परिभाषा
जब कोई कण अपनी साम्य स्थिति के इधर उधर एक सरल रेखा में इस प्रकार गति करता है कि उस पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल (अथवा त्वरण), प्रत्येक स्थिति में इसकी साम्यावस्था से नापे गए विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो तथा उसकी दिशा सदैव साम्य स्थिति की ओर हो तो कण की गति सरल आवर्त गति {S.H.M.} कहलाती है।


 सरल आवर्त गति के उदाहरण-
स्प्रिंग से लटके किसी पिण्ड के दोलन, स्वरित्र द्विभुज की भुजाओं के कम्पन, सरल लोलक के दोलन,
द्रव में आंशिक रूप से डूबे किसी पिण्ड के दोलन आदि।


सरल आवर्त गति का सूत्र

सरल आवर्त गति का विस्थापन समीकरण

Displacement Equation of  Simple Harmonic Motion

[ y = a.sinധt ]
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[ जहां a = त्रिज्या होती है ]
[   ധ = कोणीय चाल ]


Note Point
  1. प्रत्यनयन बल- वह बल जो कण को वापस साम्य स्थिति में लाता है प्रत्यनयन बल (Restoring force) कहलाता है।
  2. साम्य स्थिति- सामान्य स्थिति अथवा वह स्थिति जिसमे पिंड  किसी अतिरिक्त बल के प्रभाव में नहीं होता
  3. निश्चित बिन्दु- दोलन केंद्र अथवा साम्य स्थिति अथवा साम्यावस्था



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