Uses of HDMI
आप सबने HDMI केबल या पोर्ट का नाम तो सुना ही होगा।आपको अगर नही भी पता तो भी ये आज हमारी ज़िंदगी का आम हिस्सा बन चुका है। टीवी से लेकर लैपटॉप और गेमिंग कंसोल तक हर जगह यही छोटा सा पोर्ट हमें नज़र आता है।
लेकिन इसके पीछे की कहानी सिर्फ़ अच्छी क्वालिटी की तस्वीर और आवाज़ देने की नहीं है। इसके ईजाद का असल मक़सद कुछ और था और वो था कंट्रोल। सन 2002 में हॉलीवुड पायरेसी से परेशान था। उस दौर में DVDs का राज था और उन्हें कॉपी करना बेहद आसान था। कोई भी बच्चा अपने कंप्यूटर पर डिस्क डालकर फिल्म कॉपी कर सकता था और अरबों डॉलर की फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए ये सबसे बड़ा खतरा था। वॉर्नर ब्रदर्स और डिज़्नी जैसी बड़ी कंपनियाँ अपने मुनाफ़े को बचाने के लिए इसका तोड़ ढूंढ रही थीं।
इसी हालत ने टेक्नॉलॉजी की दुनिया के बड़े नामों को एक सीक्रेट टेबल पर ला बैठाया। Sony, Panasonic, Philips, Toshiba और Intel जैसे दिग्गजों ने मिलकर सोचा कि अब कोई ऐसा रास्ता निकाला जाए जिससे न सिफ़र हाई डेफिनिशन वीडियो और ऑडियो दुनिया भर में चल सके बल्कि साथ ही उस पर ऐसा ताला भी लगाया जा सके जिससे कुछ भी कॉपी ना हो पाए।
इसी सोच के बाद HDMI का ख़्याल पैदा हुआ। Intel ने इसके अंदर एक सिस्टम डालने की तरकीब निकाली जिसे HDCP कहा गया। High bandwidth Digital Content Protection। इसका काम साफ़ था अगर कोई कॉन्टेंट कॉपी करने की कोशिश करे तो स्क्रीन ब्लैंक हो जाए और कुछ भी कॉपी ना होने पाए। यही वजह है कि आज भी अगर आप Netflix या किसी प्रीमियम चैनल को रिकॉर्ड करने की कोशिश करेंगे तो आपकी स्क्रीन काली नज़र आएगी।
लेकिन यहाँ खेल ख़त्म नहीं होता। HDMI को यूएसबी की तरह फ्री स्टैंडर्ड नहीं बनाया गया। हर कंपनी जो HDMI पोर्ट लगाना चाहती है उसे HDMI कंसॉर्शियम को फीस देनी पड़ती है। यानी यह सिर्फ़ एक तार नहीं बल्कि अरबों डॉलर का बिज़नेस मॉडल है। लोगों को लगा कि ये हमारी सहूलियत के लिए है, जबकि हक़ीक़त ये थी कि ये हॉलीवुड का क़िला था, जहाँ किसी भी कंटेंट को बाहर निकालने (कॉपी करने) की इजाज़त नही थी।
साल दर साल HDMI अपडेट होता गया और उसके नए वर्ज़न आते गए। कभी 3D आया तो कभी 4K और 8K. गेमर्स के लिए Variable Refresh Rate जैसी नयी खूबियाँ डाली गईं। टीवी और साउंड सिस्टम के लिए ARC और eARC पेश किया गया ताकि सब कुछ एक ही केबल पर आ जाए। यह सब देखने में तो आसान और खूबसूरत लगा लेकिन असल में इसका मतलब था यूज़र को उसी एक सिस्टम से बाँध देना।
टेक्नॉलॉजिया की दुनिया में HDMI का एक मुकाबला भी था DisplayPort। टेक्निकल लिहाज़ से वो कई जगह बेहतर साबित होता था लेकिन उसके पास हॉलीवुड का समर्थन नहीं था। जबकि HDMI के पीछे कंटेंट इंडस्ट्री और बड़ी कंपनियों का गठजोड़ खड़ा था और यही वजह है कि HDMI दुनिया भर का स्टैंडर्ड बन गया।
असल में HDMI एक “डिजिटल लॉक” है। हमें ऐसा महसूस कराया गया कि ये हमारी आवाज़ और तस्वीर बेहतर बनाने के लिए है, मगर सच्चाई ये है कि इसके ज़रिये हमारी पसंद और आज़ादी पर नज़र रखी गई। हम देख तो सकते हैं पर रिकॉर्ड नहीं कर सकते ये सब उसी छुपे हुए सिस्टम का हिस्सा है।
आज जब हम किसी HDMI केबल को हाथ में लेते हैं तो लगता है ये बस एक तार है। मगर दरअसल ये एक ऐसा ताला है जिसने पूरी दुनिया को एक कंट्रोल्ड सिस्टम में बाँध दिया। HDMI ने हमें शानदार क्वालिटी तो दी लेकिन साथ ही हमारी आज़ादी भी छीन ली। यह सिर्फ़ एक केबल नहीं बल्कि टेक्नॉलॉजी और बिज़नेस की वो कहानी है जिसमें सहूलियत के नाम पर हमें धीरे-धीरे ताले में कैद कर दिया गया।








